Wednesday, December 24, 2008

वोह एक खोयी सी शाम,

कुछ कम रोशन है रौशनी
कुछ कम गीलीं हैं बरिशिएँ
कुछ कम लहराती है हवा
कुछ कम हैं दिल में ख्वाहिशिएँ

थम्सा गया है यह वक़्त ऐसे
तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे
हम्म ह्म्म्म्म ......

क्यूँ मेरी साँस भी कुछ फीकी सी है
दूरियों से हुई नस्दीकी सी है
जाने क्या यह बात है
हर सुबह अब रात है

कुछ कम रोशन है रौशनी
कुछ कम गीलीं हैं बरिशिएँ
कुछ कम लहराती है हवा
कुछ कम हैं दिल में ख्वाहिशिएँ

थम्सा गया है यह वक़्त ऐसे
तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे
हम्म ह्म्म्म्म ......

फूल महके नही कुछ गुमसुम से हैं
जैसे रूठे हुए कुछ यह तुमसे हैं
खुशबुएँ ढल गयीं
साथ तुम अब जो नही

कुछ कम रोशन है रौशनी
कुछ कम गीलीं हैं बरिशिएँ
कुछ कम लहराती है हवा
कुछ कम हैं दिल में ख्वाहिशिएँ

थम्सा गया है यह वक़्त ऐसे
तेरे लिए ही ठहरा हो जैसे
हम्म ह्म्म्म्म ......

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